Poetry

भूल गया तेरी हर बात को

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Written by Abhilash kumar

Best Hindi Poetry

कैसे झूठा कह दूँ
तेरे मेरे साथ को

कैसे कह दूँ
भूल गया तेरी हर बात को ,,,
कैसे झूठा कह दूँ
तेरे मेरे साथ को ,,,

याद है जब चार दिन एग्जाम की खातिर
तुझसे मिल नहीं पाया था ,,,
ये बात सुनकर ही
तेरा दिल भर आया था ,,,

एग्जाम से एक दिन पहले
कुछ लम्हा तेरे साथ बिताया था ,,,
एग्जाम में जाने से पहले
तूने मुझे थोड़ा सा धमकाया था ,,,

बोला था किसी और को ना देखने लग जाना एग्जाम में ,,,
अब तुम सिर्फ मेरे हो
इस जहान में ,,,

Best Hindi Poetry

कैसे कह दूँ
भूल गया तेरी उस बात को ,,,
कैसे झूठा कह दूँ
तेरे मेरे साथ को ,,,

एक रोज़ मेरी दी हुई
एक छोटी सी कमाई तुझसे खो गई थी ,,,
तू तो मानो जैसे
अपनी सुध बुध सी खो गई थी ,,,

आँखे भरी थी आँसु से
और गर्म तेल में तेरा हाथ था ,,,
ना जलने की फ़िक्र थी तुझे
ना ही गरमाहट का एहसास था ,,,

उस रोज़ फिर तुझे
कितना समझाया था मैंने ,,,
तब कहीं जाकर तू समझी थी
मेरी छोटी सी बात को ,,,

कैसे कह दूँ
भूल गया तेरी उस बात को ,,,
कैसे झूठा कह दूँ
तेरे मेरे साथ को ,,,

एक रोज़ तेरी दोस्त के घर से
निमंत्रण आया था ,,,
तेरी उस दोस्त ने
मुझे भी बुलाया था ,,,

मेरे कहने पर तूने उस रोज़
लिपस्टिक और बिंदी लगाई थी ,,,
जिसे देखकर थोड़ी सी
तेरी माँ भी घबराई थी ,,,

उस रोज़ पूरा दिन
मैं तेरे साथ था ,,,
तू पास थी मेरे
और हाथों में हाथ था ,,,

कैसे भूल जाऊँ
अपनों हाथों में तेरे हाथ को ,,,
कैसे झूठा कह दूँ
तेरे मेरे साथ को ,,,
कैसे कह दूँ

भूल गया तेरी हर बात को ,,,
कैसे झूठा कह दूँ
तेरे मेरे साथ को ,,,
कैसे झूठा कह दूँ
तेरे मेरे साथ को ,,,!!!

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Abhilash kumar

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