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कभी ना खत्म होने वाला इंतज़ार | intezaar kavita
Written by Abhilash kumar

कभी ना खत्म होने वाला इंतज़ार
इंतज़ात है तेरा
तेरी बातों का,,
मेरे हाथ में तेरे हाथों का,,
एक दूजे से जुड़े ज़ज़्बातों का,,,

इंतज़ार है फूल के खिलने का,,
तेरी मेरी नज़रों के मिलने का,,
तेरी जुल्फों के हिलने का,,
थोड़ा तेरे पिघलने का,,,

इंतज़ार है तेरे मानने का,,
तुझे और ज्यादा करीब से जानने का,,
तेरे साथ रात भर जागने का,,
अपनी हर गलती की माफ़ी मांगने का,,,

इंतज़ार है तेरी चाहत का,,
ज़ख्मों को मिलने वाली राहत का,,
कभी ना छूटने वाली मेरी आदत का,,

कभी ना खत्म होने वाला इंतज़ार  | intezaar kavita

कभी ना खत्म होने वाला इंतज़ार | intezaar kavita


इंतज़ार है तेरे हर ख्वाब को सजाने का,,
तेरे रूठने और मनाने का,,
तेरे लिए दुनिया से लड़ जाने का,,
बस तुझे अपना बनाने का,,,

इंतज़ार है तेरी बाहों में खुद को उलझाने का,,
तेरे उलझे मन को थोड़ा सुलझाने का,,
तुझे अपनी बाहों में झुलाने का,,
इस मुरझाये गुलाब को फिर से खिलाने का,,,

कभी ना खत्म होने वाला
इंतज़ार कर रहा हूँ
की मेरी पगलो कभी तो मान जाए,,,
इंतज़ार कर रहा हूँ
की फिर तू मुझपर अपना
थोड़ा हक़ जमाये,,,

इंतज़ार कर रहा हूँ
तेरे साथ मुस्कुराने का,,,
इंतज़ार कर रहा हूँ
फिर से तुझे सताने का,,,
इंतज़ार कर रहा हूँ
तेरे आग़ोश में मर जाने का,,,

जानता हूँ कभी खत्म नहीं होगा ये इंतज़ार
पर फिर भी तेरे इंतज़ार में
ज़िन्दगी बिताने की तैयारी है,,,
जानता हूँ पागल हूँ मैं
पर ये पागलपन ही मेरी बिमारी है,,,
जानता हूँ पागल हूँ मैं
पर ये पागलपन ही मेरी बिमारी है,,,!!!
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Abhilash kumar

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