Poetry

Nakaam Si Koshish

नाकाम सी कोशिश कविता | Nakaam Si Koshish Poetry
Written by Abhilash kumar

~~~नाकाम सी कोशिश (Nakaam Si Koshish)~~~

एक अनचाही सी,नाकाम सी
कोशिश करना चाहता हूँ…
पर कर नहीं पाउँगा..
मैं तुझे भूलना चाहता हूँ.
पर शायद भूल नहीं पाउँगा ||

मैं हमेशा खुद से कहता हूँ
की तू दूर है तो भी गम नहीं,,,
तेरी चाहत मेरे दिल में है
ये क्या कम नहीं,,,

तेरी कुछ निशानियाँ बाकी हैं

पर ना जाने क्यूँ भूल जाता हूँ
की मैं भी एक इंसान हूँ,,
मुझे भी दर्द होता है,,,
तेरे साथ ना होने से
मेरा दिल भी रोता है,,,

जानता हूँ अब
तू किसी और की है
इस बात से ही मैं
टूटता जा रहा हूँ,,,
ज़िंदा तो हूँ मैं
पर वास्तव में
जी नहीं पा रहा हूँ,,,

दिल तो ये मेरा है
पर इस दिल पर अब
मेरा ज़ोर नहीं रहा,,,
पत्थर बना दिया तूने अब इसे
अब ये ज़रा भी
कमज़ोर नहीं रहा,,,

~~~नाकाम सी कोशिश (Nakaam Si Koshish)~~~

एक पल को सोचा
खत्म कर दूँ खुद को
पर खुद को मारकर
अपनी चाहत को
मारना नहीं चाहता हूँ,,,

तू खुश रहे हमेशा
इसलिए बस खुद को
थोड़ा समझाना चाहता हूँ,,,

कौन है तू मेरी,,
तुझसे मेरा आखिर
रिश्ता ही क्या है,,,
क्यूँ सोचता हूँ तेरे बारे में इतना
आखिर इस बात की वजह क्या है,,,

जानता हूँ तू मेरी दुनिया है
पर तुझे कभी अपनी
दुनिया नहीं बना पाउँगा,,,
पर फिर भी जब तक ज़िंदा हूँ
सिर्फ और सिर्फ तुझी को चाहूँगा,,,

Ek Ladka Tha Sidha Sadha Sa

फिर भी एक अनचाही सी
नाकाम सी
कोशिश करना चाहता हूँ,,
पर कर नहीं पाउँगा,,,

मैं तुझे भूलना चाहता हूँ,,
पर कभी भूल नहीं पाउँगा,,,
मैं तुझे भूलना चाहता हूँ,,
पर कभी भूल नहीं पाउँगा !!!

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Abhilash kumar

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