दीपावली हिंदू धर्म में सबसे पवित्र और बड़ा त्यौहार होता है. पांच दिवसीय त्यौहार में बहन-भाई के परस्पर प्यार के लिए समर्पित भाई दूज का त्यौहार मनाया जाता है, भाई दूज को यम द्वितीया के नाम से भी जाना जाता है. रक्षाबंधन के बाद ऐसा दूसरा त्यौहार है, जो भाई-बहन के पवित्र बंधन को और भी मजबूत करता है. आज आप इस लेख के माध्यम से जानने की भाई दूज क्या है ? और इसे क्यों और कैसे मनाया जाता है.
भाई दूज क्या है (What is Bhaiyadooj)?
भाई दूज के पर्व को हिंदू धर्म के कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीय तिथि को मनाया जाता है. भाई-बहन के इस त्यौहार को “यम द्वितीय” तथा “यमुना स्नान” के नाम से भी जाना जाता है. भाई दूज के पवित्र त्यौहार में बहन अपने भाई को रोली और अक्षत से तिलक करती हैं और भगवान से कामना करती है, कि उनके भाई का सदैव भविष्य उज्जवल रहे. भाई अपने बहन को छोटा ही सही पर भेट के रूप में कुछ न कुछ जरूर देते हैं. इस त्यौहार को दीपावली के तृतीय दिवस मनाया जाता है, जो बहन भाई के सहज प्रेम को प्रगट करता है. भाई-बहन के इस पवित्र त्यौहार में बहन अपने भाई की प्रगति और दीर्घायु एवं सुख शांति की कामना करती हैं. इस वर्ष भाई दूज का पर्व 30 अक्टूबर 2019 को मनाया जाएगा.
भैया दूज मनाने की पौराणिक मान्यताएं क्या है ?(Spiritual Reasons behind Bhaiyadooj)
हिंदू धर्म के देवता सूर्य देव की पत्नी छाया की कोख से यमराज और यमुना जी का जन्म हुआ था. मृत्यु लोक में लोगों के प्राण हरने वाले यमराज जी और पवित्र नदी यमुना जी दोनों भाई बहन हैं. पौराणिक कथाओं के अनुसार यमुना जी सदैव अपने भाई यमराज जी से आग्रह करती रहती थी, कि वे उनके घर पधारें और उनका आतिथ्य स्वीकार करें परंतु यमराज जी उनके घर व्यस्तता के कारण नहीं पहुंच पाते थे. अचानक कार्तिक शुक्ल द्वितीया को यमराज जी अपनी बहन यमुना जी के घर पहुंच जाते हैं, और यमुना जी उनको अचानक देखकर आश्चर्यचकित हो जाती हैं और खूब खुश हो जाती है. यमुना जी के इच्छा के अनुसार वे उनका खूब आदर सत्कार एवं आतिथ्य करती हैं. यमराज जी अपनी बहन का आदर-सत्कार देख प्रसन्न होकर उन्महोंने यमुना जी को यह वरदान दिया कि यदि इस दिन कोई भी भाई बहन एक साथ यमुना जी की पवित्र नदी में स्नान करें तो उनकी मुक्ति अवश्य होगी. इसीलिए भाई-बहन के इस त्योहार की महत्वता बहुत है. इस पर्व को “यमुना स्नान” के पर्व के रूप में भी जाना जाता है.
भाइयों को इस दिन क्या करना चाहिए ?(What we should do on Bhaiyadooj)
भैया दूज के पर्व में भाइयों को उस दिन प्रातः चांद का दर्शन करना चाहिए और यमुना जी के जल से स्नान करना चाहिए यदि यमुना जी का जल ना हो तो आप किसी भी शुद्ध जल से प्रातः काल स्नान कर सकते हैं. इसके पश्चात भाई अपने बहन के घर जाते हैं और वहां पर बहनों के द्वारा बनाए गए स्वादिष्ट एवं प्रेम पूर्वक भोजन को खाते हैं. भोजन करने के पश्चात बहन अपने भाइयों का तिलक एवं आरती करते हैं. भाइयों को अपने सामर्थ्य अनुसार अपनी बहनों को कुछ उपहार छोटा सा ही सही जरूर प्रदान करना चाहिए.
भाई दूज की पूजन विधि क्या है ?(Worship Techniques of Bhaiyadooj)
भाई-बहन के इस पावन पर्व के दिन बहनें अपने भाइयों के लिए “गोधन” कुटती हैं . भाई दूज में सभी बहने गोधन में गाय के गोबर के द्वारा मानव प्रतिमा बनाती हैं, और उसकी छाती पर ईट रखकर मूसल से तोड़ देती हैं. इसके बाद सभी बहने मटर के दाने को पूछते हैं, और भटकैया के कांटे को अपनी जीभ पर रखकर अपनी जिब्हा को दागती हैं. ऐसा माना जाता है कि सभी बहने इस पावन पर्व में अपने भाइयों को काल्पनिक रूप से एक बार मारती हैं, और पुनः उन्हें जिंदा भी करती हैं. ऐसा करने से बहने अपने भाइयों की उम्र बढ़ाती हैं. यह पूजा दोपहर तक समाप्त हो जाती है, और इसके बाद बहनें अपने भाइयों को तिलक लगाती हैं तथा मटर के दाने एवं मिष्ठान खिलाती है. तो इस प्रकार भाई दूज की पूजन प्रक्रिया की जाती है.
भैया दूज का महत्व ?(Importance Of Bhaiyadooj)
भाई बहन के पवित्र रिश्ते को और भी मजबूत बनाने का यह महत्वपूर्ण त्यौहार होता है. इस पर्व का मुख्य उद्देश भाई-बहन के बीच प्रेम एवं अपने पवित्र भाई बहन के रिश्ते को सदैव बरकरार रखना होता है. इस दिन बहनों के घर जाकर उनके हाथ का बना भोजन खाने का एक अलग ही महत्वता होता है. इस दिन यमुना जी एवं यमराज जी के इस पवित्र पूजन का बहुत विशेष महत्व होता है. इस पूजन को करके बहनें अपने भाइयों की उम्र एवं अपने लिए सौभाग्य प्राप्त करती हैं.
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