टेलीपैथी (Telepathy) एक ऐसी कला है जिसके माध्यम से आप बिना किसी उपकरण के दूसरे के मन की बातों को जान सकते हैं. किसी के मन की बात जानने के लिए जरूरी नहीं कि हम उन्हें संपर्क करें या उन्हें कॉल करें या फिर उनसे जाकर व्यक्तिगत रूप से मिले. हम दूर बैठकर भी दूसरे व्यक्ति के मन की बात को जान सकते हैं और उसकी स्थिति को समझ सकते हैं. हिंदी भाषा में टेलीपैथी को दूरानुभूति कहते हैं.
आखिर क्या है टेलीपैथी? ( What isTelepathy )
सन 1982 में सेंट्रिक डब्लू एच मायर्स ने सबसे पहले टेलीपैथी शब्द का इस्तेमाल किया था. उनका मानना था कि जिस व्यक्ति के अंदर यह छठी इंद्री जागृत हो जाती है वह दूसरों के मन में क्या चल रहा है आसानी से जान लेता है और समझ जाता है. टेलीपैथी के कई प्रकार हैं जो कि परामनोविज्ञान के विषय में बताए गए हैं. जैसे कि टेलीपैथी का मतलब किसी के मन की बात को दूर से ही जाना होता है इसी प्रकार बहुत सारे ऐसे यंत्र हैं जो कि टैली शब्द से शुरू होते हैं जैसे कि टेलीफोन, टेलिविजन आदि!
यह उपकरण भी दूर से भेजे गए संदेशों की मदद से चित्रों को पकड़ लेते हैं. जिस प्रकार इन यंत्रों में संदेशों को पकड़ने की ताकत होती है उसी प्रकार मनुष्य के दिमाग में भी कुछ ऐसी इंद्रियां होती हैं जो दूसरे के मन की बात को जानने में और दूर घट रही घटनाओं को पकड़ने में मदद करती है! जो व्यक्ति अपनी इन इंद्रियों को जागृत कर लेता है उसे पारेंद्रिय ज्ञान से संपन्न व्यक्ति माना जाता है.
आपने महाभारत के समय के संजय का नाम तो सुना ही होगा. जी हां, संजय ने महाभारत में चल रहे युद्ध का सारा वर्णन धृतराष्ट्र को बिना वहां जाए सुना दिया था. वह ऐसा इसी वजह से कर पाए थे क्योंकि उनका अपनी छठी इंद्री पर काबू था. क्या आप भी अपने अंदर टेलीपैथी विकसित करना चाहते हैं? अगर हां तो हम आपको कुछ आसान तरीके बताने जा रहे हैं जिनकी मदद से आप अपने अंदर टेलीपैथी की कला को विकसित कर सकते हैं! तो आइए शुरू करते हैं
Telepathy (टेलीपैथी) की कला को विकसित करने के लिए मुख्य तीन तरीके हैं:
★ध्यान
.योग
★आधुनिक तकनीक का प्रयोग
तो चलिए जानते हैं इन तरीकों के बारे में विस्तार से:-
ध्यान:
जो सबसे पहला माध्यम आप अपनी टेलीपैथी कीकला को जागृत करने के लिए अपना सकते हैं वह है ध्यान. अगर आप लगातार ध्यान करते हैं तो आपका मन स्थिर होने लगता हैऔर आपशांति महसूस करने लगते हैं. टेलीपैथी के लिए बहुत जरूरी है कि आप एक संवेदनशील अवस्था में हो. अगर आप ध्यान केंद्रित करने में सक्षम हो जाते हैं तो आप दूसरे के मन की बातों को भी समझ पाएंगे इतना ही नहीं अगर कोई व्यक्ति आपसे काफी दूर बैठा है तो आप उसके मन की बातों का भी वर्णन कर सकते हैं.
योग:-
जो दूसरा तरीका आप अपना सकते हैं वह है योग. योग से सिर्फ आप अपने शरीर को स्वस्थ नहीं रखते बल्कि अपने मन और अपने दिमाग को भी शक्ति प्रदान करते हैं. अगर आप संयम से काम लें तो आप दूसरे के मन की बातों को आसानी से जान सकते हैं. योग में ऐसी बहुत सारी विधाएं हैं जिनके माध्यम से आप टेलीपैथी सीख सकते हैं. विद्याय जो आपको युग में टेलीपैथी सीखने के लिए मदद करती है, वह है त्राटक विद्या, प्राण विद्या.
आधुनिक तरीका!
जो आखिरी तरीका आप टेलीपैथी (Telepathy ) सीखने के लिए अपना सकते हैं वह है आधुनिक तरीका. इस आधुनिक दौर में हर कोई आधुनिक तरीकों की तरफ भागता है और शायद यही वजह है कि टेलीपैथीकी कला को बढ़ावा देने के लिए और अपनी छठी इंद्री को जागृत करने के लिए आधुनिक तरीकों का प्रयोग भी किया जाता है. आधुनिक तरीकों के अनुसार अगर आप अपनी ध्यान से देखने और सुनने की क्षमता को बढ़ाते हैं तो आप आराम से सामने वाले व्यक्ति के मन की बात को सुन सकते हैं!
इसके लिए बहुत जरूरी है कि आपअपनेअभ्यास को नियमित रूप से करें. इतना ही नहीं, आप सम्मोहन प्रक्रिया के माध्यम से भी अपने चेतन मन को सुला सकते हैं और उसके बाद अपने अवचेतन को जागृत कर के दूसरे व्यक्ति के मन की बात को पढ़ एवं समझ सकते हैं.
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उपसंहार
तो दोस्तों यह थी कुछ तरीके जिनकी मदद से आप अपने अंदर टेलीपैथी (Telepathy) की कला को जागृत कर सकते हैं और दूसरे के मन की बातों को जान सकते हैं. हम आशा करते हैं कि आपको हमारी दी गई जानकारी पसंद आई होगी. अगर आप हमसे इस बारे में कोई भी प्रश्न पूछना चाहते हैं तो नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स में अपनी बात अवश्य लिखें. हमें आपकी सहायता करने में प्रसन्नता होगी. धन्यवाद
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