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Kohinoor Ka Itihaas

kohinoor
Written by Abhilash kumar
कोहिनूर के बारे में (About Kohinoor)

कोहिनूर हीरे का नाम आज कौन नहीं जानता है.यह भारत का ही नहीं बल्कि विश्व का सबसे महंगा हीरा माना जाता है. कोहिनूर का अर्थ है आभा या रौशनी. यह भारत के गोलकुंडा की खान से प्राप्त हुआ है. यह हीरा कई मुगल और फ़ारसी शासको से होता हुआ अंततः में ब्रिटिश शासक के अधीन मे चला गया था. माना जाता है की यह हीरा पुरुष स्वामियों का दुर्भाग्य व मृत्यु का कारण बना था. और स्त्री स्वामिनियों के लिये सौभाग्य लेकर आया था. आज हम बात करने जा रहे है विश्व का सबसे माँहगा हीरा कोहिनूर (kohinoor) के बारे में आइए जानते है.

-उद्गम और आरम्भिक इतिहास के बारे में

आपको बता दे की इसका उद्गम स्पष्ट नहीं है, क्योंकि इसके बारे में अनेक कहानिया जुडी हुई है. कई मान्यता के अनुसार कोहिनूर हीरा लगभग 5 हजार वर्ष पहले मिला था. हिन्दू कथाओं के अनुसार भगवान श्री कृष्ण ने स्वयं यह मणि जाम्बवत से ली थी. जिसकी पुत्री जामवती ने बाद में श्री कृष्ण से विवाह भी किया था. जब जाम्वंत सो रहे थे, तब श्रीकृष्ण ने यह मणि चुरा ली थी.
ऐतिहासिक प्रमाणों के अनुसार गोलकुंडा की खान से निकला था. जो आंध्र प्रदेश में विश्व की सवसे प्राचीन खानों में से एक है. माना जाता है की यह विश्व का एकमात्र हीरा उत्पादक क्षेत्र ज्ञात था. ऐसी ही माना जाता है की इस कोहिनूर के बारे में आनेक कथाए प्रचलित है.

सम्राटों के रत्न

शाहजहां ने कोहिनूर को अपने प्रसिद्ध मयूर-सिंहासन में जड़वाया था.उसके पुत्र ओरंगजेब ने अपने पिता को कैद करके आगरा के किले में रखा था. यह भी कथा है, कि उसने कोहिनूर को खिड़की के पास इस तरह रखा कि उसके अंदर शाहजहां को उसमें ताजमहल का प्रतिबिम्ब दिखायी कोहिनूर का मूल्यांकन नादिर शाह की एक कथा से मिलता है. उसकी रानी ने कहा था, कि यदि कोई शक्तिशाली मानव पाँच पत्थरों को चारों दिशाओं व ऊपर की ओर पूरी शक्ति सहित फेंके तो उनके बीच का खाली स्थान यदि सुवर्ण व रत्नों मात्र से ही भरा जाये उनके बराबर इसकी कीमत होगी. ऐसा भी माना जाता है की, अफगानिस्तान का तत्कालीन पदच्युत शासक किसी तरह कोहिनूर के साथ, बच निकला व पंजाब पहुंचा व वहां के माहाराजा रंजित सिह को यह हीरा भेंट किया था. और इसके बदलें स्वरूप रंजीत सिंह ने ईस्ट इंडिया कम्पनी को अपनी अधीन से छुटकारा प्राप्त किया था.
kohinoor

कोहिनूर (kohinoor) हीरा भारत के बाहर कैसे निकाला

कोहिनूर का हीरा भारत से बाहर जाने का कारण याह बना की रंजीत सिंह ने स्वयं को पंजाब का महाराजा घोषित किया था. शय्या ने अपनी मृत्यु शय्या पर उसने अपनी वसीयत में कोहिनूर को पूरी उड़ीसा प्रसिद्ध श्री जगन्नाथ मंदिर में दान देने को लिखा था. लाहोर संधि का एक महत्वपूर्ण अंग निम्न अनुसार था. कोह-इ-नूर नामक रत्न जो शाह-शूजा-उल-मुल्क से महाराजा रण्जीत सिंह द्वारा लिया गया था. लाहौर के महाराजा द्वारा इंग्लैण्ड की महारानी को सौंपा जायेगा. इसके बाद इस संधि का प्रभारी गवर्नर जनरल लार्ड डलहोजी जिनकी कोहिनूर अर्जन की चाह इस संधि के मुख्य कारणों में से एक थी. इनके भारत में कार्य, सदा ही विवाद ग्रस्त रहे. और बाद में महाराजा रण्जीत सिंह के उत्तराधिकारी दलीप सिह द्वारा माहारानी विक्टोरिया को भेंट किये जाने के प्रबंध किये. 13 वर्षीय दलीप ने इंग्लैंड की यात्रा की व उन्हें भेंट किया. यह भेंट किसी रत्न को युद्ध के माल के रूप में स्थानांतरण किये जाने का अंतिम दृष्टांत था.

कोहिनूर की कीमत (Value of kohinoor)

कोहिनूर हीरा अपने पूरे इतिहास में अब तक एक बार भी नहीं बिका है. यह या तो एक राजा द्वारा दूसरे राजा से जीता गया या फिर इनाम में दिया गया. इसलिए इसकी कीमत कभी नहीं लग पाई. 1294 के आस-पास यह हीरा ग्वालियर के किसी राजा के पास था. हालांकि तब इसका नाम कोहिनूर नहीं था. पर इस हीरे को पहचान 1306 में मिली जब इसको पहनने वाले एक शख्स ने लिखा कि जो भी इंसान इस हीरे को पहनेगा, वो इस संसार पर राज करेगा. पर इसकी के साथ उसका दुर्भाग्य शुरू हो जाएगा. हालांकि तब उसकी बात को उसका वहम कह कर खारिज कर दिया गया. हालांकि अगर हम तब से लेकर अब तक का इतिहास देखें तो कह सकते हैं कि यह बात काफी हद तक सही है.

कोहिनूर हीरा काटना (cutting of kohinoor)

प्रिंस अल्बर्ट ने बहुत अच्छी प्रतिष्ठा के साथ एक डायमंड कटर की खोज की और नीदरलैंड का नेतृत्व किया जहां उन्होंने एक निश्चित श्री कैंटर को हीरे को काटने का मिशन दिया. जिसने इसे काटने का मुश्किल काम शुरू किया श्री कैंटर ने हीरे पर 38 दिन काम किया. हीरे को एक अंडाकार आकार में काटा गया था और वजन अपने वर्तमान स्वरूप में कम हो गया था और 108.93 कैरेट का वजन था.

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कोहिनूर के बारे में रोचक तथ्य (Interesting facts about kohinoor)

• कोहिनूर का मतलब प्रकाश का पर्वत होता है.
• यह एक बड़ा और रंगहीन हीरा है जो 14 वीं सदी की शुरुआत में दक्षिण भारत में पाया गया था.
• ऐसी मान्यता है कि यह हीरा जिसके पास भी रहता है उसकी जिंदगी बर्बाद हो जाती है. इस हीरे ने कई राजपरिवारों को तबाह भी किया है.
• भारत के साथ ही पाकिस्तान अफगानिस्तान और ईरान भी कोहिनूर पर अपना दावा जताते हैं.
• कहते हैं कि कोहिनूर हीरा आंध्रप्रदेश के गुंटूर जिले में स्थित गोलकुंडा की खदानों से निकला था.
• वहीं यह भी मान्यता है कि, इस हीरे का पहला ज़िक्र बाबर की आत्मकथा बाबर में किया गया था.
• उसमें लिखा है कि बाबर के बेटे हुमायूं ने जब इसकी कीमत आंकनी चाही थी तो बाबर ने उसकी कीमत एक लट्ठ बताई थी.इसका मतलब है कि जिसके हाथ में पावर होगी हीरा उसी के पास रहेगा.
• भारत में अभी तक माना जाता है कि 29 मार्च 1849 को को यह हीरा रानी विक्टोरिया को भेंट स्वरूप दिया गया था. इस बेशकीमती हीरे को रानी ने अपने मुकुट में जड़वा लिया था और तब से कोहिनूर ब्रिटेन में है.
• यह दुनिया का सबसे कीमती हीरा है और अपने मूल रूप में यह 793 कैरेट का था. इस हीरे को अभिशप्त भी माना जाता है.
• 1306 में कोहिनूर पहनने वाले एक शख्स ने लिखा था कि जो भी इसे पहनेगा वह दुनिया पर राज करेगा पर उसके साथ ही उसका दुर्भाग्य भी शुरू हो जाएगा.

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