History

क़ुतब-मीनार का इतिहास (Qutub Minar History)

क़ुतब मीनार
Written by Abhilash kumar
Qutub Minar History क़ुतब मीनार का इतिहास

दोस्तों आप जानते ही है, की क़ुतब मीनार भारत की राजधानी दिल्ली में स्थित है.यह भारत की नहीं बल्कि एशिया की भी सबसे ऊँची मीनार है. इसे मुग़ल कालीन वस्तुकला का एक अदभुद नमूना माना जाता है. और इसे एतिहासिक पर्यटकों में से मुख्य पर्यटक माना जाता है. क़ुतुब मीनार की अद्भूत बनावट के कारण ही यहा लाखो ट्यूरिस्ट घुमने आते है. ये ट्यूरिस्ट न की भारत के बल्कि विदेशो से की यह आकर्षण का केंद्र बना हुआ है. कहते है, की क़ुतुब मीनार की उंचाई इतनी है,की अगर किसी के सर पर पगड़ी बाँधी हुई है और वह इसकी उंचाई को देखते है, तो उसकी सर की पगड़ी गिर जाती है आज हम आपको क़ुतुब मीनार के बारे में कुछ ख़ास बात बताने जा रहे है आइये जानते है क़ुतुब मीनार के बारे में कुछ ख़ास बाते.

History of Qutub Minar

1193 ई. में दिल्ली के पहले मुस्लिम शासक एंव गुलाम वंश के शासक कुतबुद्दीन ऐबक ने क़ुतुब मीनार की सिर्फ नींव (पहली मंजिल एंव बेसमेट बनवाया था) ही रखी थी. उसके बाद कुतबुद्दीन ऐबक के पौते इल्तुमिश ने मीनार की तीन और मंजिलों का निर्माण करवाया था. पर वह भी इस भव्य इमारत ( मीनार ) को पूरा नहीं कर पाए थे. उसके बाद 1368 ई. में फिरोज शाह तुगलक़ ने इसकी पांचवी इमारत का निर्माण करवाकर इस मीनार को एशिया की सबसे ऊँची मीनार बनवाया. उसके बाद 1508 ई. में भूंकप के कारण क़ुतुब मीनार क्षतिग्रस्त हुई तो सिकन्दर लोधी ने इसका पुनर्निर्माण करवाया. इसकी दीवारों पर इसके निर्माण एंव पुनर्निर्माण करने वाले शासको का नाम लिखा हुआ है. क़ुतुब मीनार के नाम की चर्चा भी अक्सर इतिहास में होती हैं. कुछ इतिहासकारों का कहना है की इसका नाम निर्माण शुरू करने वाले शासक के नाम ( कुतबुद्दीन ऐबक) के नाम पर रखा गया है तो कुछ इतिहासकारों का मानना है की मुस्लिम मशहूर सूफी संत कुतबुद्दीन बख्तियार के नाम पर रखा गया है.
क़ुतब मीनार

हिन्दू मत –

कुतुबमीनार पर हिन्दुओ द्वारा भी अपना मत रखा गया है, हिन्दू धर्म के अनुसार इसका निर्माण चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य नवरत्नों में से एक खगोलशास्त्री वराहमहिर ने करवाया है. इसका नाम विष्णु स्तम्भ था. बताया जाता है की क़ुतुबमीनार के पार पड़ने वाली बस्ती महरौली कहा जाता था. यह विक्रमादित्य के दरबार में रहने वाले वराहमहिर के नाम से जानी जाती है. पर पूर्णत: सच क्या है यह राज अभी तक किसी को पता नहीं चला है, हालाँकि इतिहासकार हमेशा अपने-अपने मत रखते आये हैं.

क़ुतुब मीनार की सरंचना

क़ुतब मीनार भारत में दिल्ली शहर के महरोली में ईंट से बनी हुई सबसे ऊँची मीनार है इसका व्यास आधार 14.32 मीटर और 72.5 की उंचाई है इस मीनार की नीव गुलाम वंश के राजा कुतुबुदीन ऐबक ने 1199 ई. में रखी थी इसकी सभी मंजिल के आगे की और बढ़े हुए छज्जे है. इस मीनार के चारो और मधुमक्खी के छत्ते के समान बनावट की हुई है. इसकी पहली मंजिल की बनावट लोगों के आकर्षण का केंद्र बनी हुई है. उसके बाद जैसे ही ऊपरकी और देखते है तो इसकी सजावट धीरे धीरे कम होती जाती है. इसमें 27 हिन्दू जैन मंदिर के वास्तुकलात्मक मूर्तियाँ स्थापित है.
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क़ुतुब मीनार की सजावट

ऐबक के काल में वास्तुकला बहुत ज्यादा प्रचलित थी. और यह क़ुतुब मीनार पर देखने को भी मिलता है. इस मीनार को शिलालेख से सजाया गया है. इसके निर्माण सामग्री और बाद की वास्तुकला में विभेद है. इसकी चार बालकनी है. जिसमे अलंकृत कोष्टक बनाए गए है. इस मीनार के पास दिल्ली का आश्चर्यचकित करने वाला लोहा स्तम्भ है. इस मीनार को अफगानिस्थान में स्थित जाम की मीनार से प्रेरित होकर इसका निर्माण करवाया गया था. क़ुतुब मीनार के पास जो बस्ती है, उसे ही महरोली कहा जाता है. इस मीनार को हवाई जहाज से देखने से गुलाब की पंखुडियो के समान दिखाई देता है. इस मीनार का परवेश द्वार उतर दिशा में है. इस मीनार पर बहुत से ने कविता भी पेश की जिससे क़ुतुब मीनार की खूबसूरती और भी ज्यादा बढ़ जाती है. और लोगों का ध्यान आकर्षित करती है.

क़ुतब मीनार की वास्तविकता

क़ुतब मीनार एशिया की सबसे ऊँची मीनार जरुर है पर आपको बता दें की यह बिलकुल सीधी नहीं है. अनेक शासकों द्वारा मरम्मत इत्यादि के कारण यह कुछ झुकी हुई है. पर आज भी लोगों के आकर्षण में किसी भी तरह की कमी नहीं आई है. मीनार के अंदर कुल 379 सीढियाँ है जो मीनार के उपरी छौर तक लेकर जाती है. बताया जाता है की इस मीनार में कुरआन की आयतें लिखी हुई है तो कुछ इतिहासकारों के अनुसार इसमें अरबी और नागरी लिपि से कुछ बातें लिखी हुई है.

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