नमस्कार दोस्तों ! आज हम भारत के शुरूआती गणितज्ञ और खगोल विज्ञानी आर्यभट्ट के बारे में बात करने जा रहे है ये इतने ज्यादा महत्वपूर्ण व्यक्ति है कि भारत के पहले उपग्रह आर्यभट्ट का नाम इन ही व्यक्ति के नाम पर पड़ा था ! जी है दोस्तों आज के Blog में हम आर्यभट के बारे में बात करेंगे !
आर्यभट्ट, जिन्हे आर्यभट्ट प्रथम या आर्यभट्ट एल्डर भी कहा जाता है ! इनका जन्म 476 AD में पाटलिपुत्र में हुआ था ! यह एक खगोल विज्ञानी और गणितज्ञ थे ! इनकी विरासत का हम अभी तक उपयोग कर रहे है !
प्रारंभिक जीवन
आर्यभट्ट का जन्म 476 AD में भारत के बिहार राज्य के एक शहर टेरेनागा में हुआ था ! हालाँकि जन्म स्थान के बारे में कुछ मतभेद है ! कुछ स्रोतों के अनुसार उनका जन्म महाराष्ट्र के अश्मक प्रदेश में हुआ था ! उन्होंने पढाई के लिए कुसुमपुर की यात्रा की तथा यहाँ पर उन्होंने कुछ समय गुजरा ! हिन्दू और बौद्ध परम्पराओ के साथ साथ सातवीं सदी के विद्वानों ने कुसुमपुर की पहचान पाटलिपुत्र के रूप में की है यहाँ पर अध्य्यन का एक महान केंद्र, नालंदा विश्वविद्यालय स्थापित था और वो सकता है कि आर्यभट्ट उस से जुड़े हो !
कार्य
आर्यभट्टीय में आर्यभट्ट के कार्यो का विवरण दिया गया है ! ऐसा माना जाता है कि इसको यह नाम स्वयं आर्यभट्ट ने नहीं अपितु इसको पढ़नेवालो ने इस ग्रन्थ को यह नाम दिया है ! इस ग्रन्थ को कभी कभी आर्य-शत-अष्ट के नाम से भी जाना जाता है ! आर्यभट्टीय में वर्गमूल,घनमूल,समान्तर श्रेणी,पाई का मान,शून्य की खोज तथा विभिन्न प्रकार के समीकरणों का वर्णन किया गया है ! यह ग्रन्थ खगोल विज्ञान और गणित का संग्रह है ! इसके गणित वाले भाग में अंकगणित,बीजगणित,सरल त्रिकोणमिति और गोलीय त्रिकोणमिति शामिल है !
आर्यभट्टीय 4 अध्यायों में विभाजित है:-
1.गीतिकपाद
2.गणितपाद
3.कालक्रियापाद
4.गोलपाद
खगोल कार्य
खगोल विज्ञान के क्षेत्र में आर्यभट्ट ने बहुत सारे काम किये है जो निम्नलिखित है:-
1.पृथ्वी सूर्य के चारो तरफ अपनी धुरी पर परिक्रमा करती है !
2.चन्द्रमा पृथ्वी की परिक्रमा करता है !
3.आर्यभट्ट ने ही सबसे पहले नौ ग्रहो की स्थिति का पता लगाया और ये भी बताया किं ये सभी ग्रह सूर्य का चक्कर लगाते है !
4.इन्होने ही सबसे पहले सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण के बारे में बताया था !
5.सबसे पहले इन्होने ही कहा था कि 1 वर्ष में 365 दिन होते है !
6.इन्होने पृथ्वी के बारे में कहा था कि पृथ्वी सपाट नहीं अपितु गोल आकार की है !
7.पृथ्वी के व्यास और परिधि के बारे में सबसे पहले इन्होने ही बताया था !
आर्यभट्ट का योगदान
आर्यभट्ट का गणित तथा ज्योतिष सिद्धांत पर गहरा प्रभाव रहा है ! भारतीय गणितज्ञों में सबसे महत्वपूर्ण गणितज्ञ ,आर्यभट्ट ने 120 आर्याछन्दो में ज्योतिष सिद्धांत और गणित के सूत्रों को आर्यभट्टीय में लिखा था इन्होने ही आर्कमिडीज से एक हज़ार वर्ष पहले ही पाई का मान निकाल दिया था तथा सबसे पहले इन्होने ही बताया था कि सभी ग्रह सूर्य के चारो तरफ परिक्रमा करते है !
आर्यभट्ट की मृत्यु
आर्यभट्ट की मृत्युं 550 AD में हुई थी ! परन्तु इनकी मृत्यु के कारणों का अभी तक पता नहीं चला है !
यह भी पढ़े :- jhansi ki rani ki kahani
Nice one
I wait to read your next blog
Nice blog
Very fantastic
Τhis paragraph will assist thhe internet viewers for Ьuilding up neѡ blog or even a weblog fгom sart to end.
Nice blog ….
Nice ..
There is certainly a lot to know about this subject.
I love all the points you have made. I have been surfing online more
than 4 hours today, yet I never found any interesting article like yours.
It’s pretty worth enough for me. In my opinion, if all website owners and bloggers made good content
as you did, the web will be much more useful than ever before.
I love what you guys are up too. Such clever work and reporting!
Keep up the terrific works guys I’ve included you guys to our blogroll.
Very inersting
[…] हूँ, मैंने कुछ सीखा ही है. यह भी पढ़े :- ★ Aaryabhatt Biography In Hindi * apj abdul kalam ★ The Great Scientist CV […]