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Major Dhyanchand Biography (मेजर ध्यानचंद का जीवन परिचय )

मेजर ध्यानचंद
Written by Abhilash kumar
हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद का जीवन परिचय

कहते हैं की जब मेजर ध्यानचंद सिंह हॉकी के खेल में गोल किया करते थे तो सब हैरान रह जाते थे. उनका गोल करने का तरीका सबसे अलग था, शायद यही वजह थी की उनकी हॉकी स्टिक को बहुत बार चैक किया जाता था की कहीं इसके अंदर कोई डिवाइज तो नहीं है ना, पर हर बार चैक करने वाले मायूस हुए. कहा जाता है की जब मेजर ध्यानचंद सिंह भारत के लिए हॉकी खेलने लगे तबसे भारत ने हॉकी की सर्वश्रेष्ट टीम में हिस्सा ले लिया था. क्योंकि ध्यानचंद जी ने अपनी पूरी ताकत लगा दी थी भारत की हॉकी टीम को सर्वश्रेष्ट बनाने में, आज हम मेजर ध्यानचंद सिंह के बारें में उनके जीवन के बारें में आपको बताने वाले हैं.

मेजर ध्यानचंद सिंह का जन्म

हॉकी के जादूगर का जन्म 29 अगस्त 1905 को इलहाबाद में हुआ था. यह कुशवाह मौर्य समाज से थे. ध्यानचंद सिंह के पिता का नाम रामेश्वर था और वह ब्रिटिश आर्मी में सूबेदार थे, इसी वजह से उनका तबादला आये दिन होता रहता था. ध्यानचंद जी ने बहुत ही मुश्किल से अपनी पढाई छटवी तक की और बाद में पढाई छोड़ दी क्योंकि उनके पिता के तबादले की वजह से वह पढ़ नहीं पाते थे. बाद में उनके पिता झांसी में रहने लगे यहाँ पर उन्होंने रेसिंग करना शुरू किया क्योंकि उन्हें हॉकी खेलना पसंद नहीं था.

ध्यानचंद सिंह का हॉकी की तरफ रुझान

ध्यानचंद उस वक्त रेसिंग में तो सक्षम थे ऐसे में उनके दोस्त उन्हें हॉकी खेलने के लिए फ़ोर्स करने लगे, उसके बाद उन्होंने अपने दोस्तों के साथ हॉकी खेलना शुरू किया और उनका पसंदीदा खेल भी हॉकी बन गया. एक दिन वह अपने पिता के साथ आर्मी कैंप का हॉकी मैच देखने गये और उन्होंने देखा की एक टीम हार रही है तो अपने पिता से कहा की वह हारने वाली टीम के लिए खेलना चाहते है. वह मैच आर्मी वालों का था तो ध्यानचंद के पिता ने उन्हें खेलने की इज्जत दे दी. यहाँ उन्होंने उस टीम के लिए 4 गोल किये, ऐसे में आर्मी ऑफिसर ने उनका आत्मविश्वास देखकर उन्हें आर्मी ज्वाइन करने के लिए कहा. और 1922 में ध्यानचंद सिंह पंजाब रेजिमेंट में एक सिपाही बन गये. उसके बाद ब्राह्मण रेजिमेंट सूबेदार मेजर भोले तिवारी ने उन्हें खेल का ज्ञान दिया और ध्यानचंद के पहले कोच पकंज गुप्ता थे. उन्होंने ध्यानचंद का खेल देखकर कहा की वह चाँद की तरह चमकेगा, और उनकी यह बात सच भी हुई उसी वक्त उन्हें ध्यान सिंह से चंद की उपाधि मिली थी.

ध्यानचंद का हॉकी में करियर शुरू हुआ

हॉकी के खेल में ध्यानचंद हमेशा अव्वल रहे और उनका खेल देखकर सब सोचते की यह कैसे हो सकता है और वह कर देते थे दिखा देते थे लोगों की वह हॉकी के बहुत अच्छे खिलाड़ी है. उनके जीवन की बहुत सी कड़ियाँ है जहां उन्होंने अपना सर्वश्रेष्ट प्रदर्शन किया है. पर हम बात करते है उनके पहले नेशनल हॉकी टूर्नामेंट जो की 1925 में हुआ था. इसमें उनका प्रदर्शन देखकर उनका चयन इंटरनेशनल हॉकी टीम में हुआ.

पहला इंटरनेशनल हॉकी मैच ध्यानचंद का

ध्यानचंद का पहला मैच न्यूजीलैंड में हुआ था यहाँ भारतीय टीम ने 20 गोल किये और सबसे बड़ी बात यह है की 10 गोल अकेले ध्यानचंद ने किये थे. भारत ने यहाँ पर 21 मैच खेले और 18 मैचो में भारत ने जीत हासिल की, इस जीत का श्रेय मेजर ध्यानचंद को मिला था. पुरे टूर्नामेंट में 192 गोल हुए और इनमे से 100 गोल अकेले ध्यानचंद के थे. अब आप सोच सकते हैं की ऐसे ही उन्हें हॉकी का जादूगर नहीं कहा जाता है. मेजर ध्यानचंद के करियर में भारत को तीन बार गोल्ड मैडल हासिल हुआ और तीनो का श्रेय ध्यानचंद को जाता है.

हिटलर का ऑफर ठुकराया

मेजर ध्यानचंद की फुर्ती और उनकी कला को देखकर हिटलर भी उनके फैन हो गये थे, हिटलर ने उन्हें जर्मन आर्मी में हाई पोस्ट ऑफर की थी पर मेजर ध्यानचंद ने यह कहकर मना कर दिया की वह अपने भारत को नहीं छोड़ेंगे. इस बात से आप अंदाजा लगा सकते हो की मेजर ध्यानचंद के दिल में भारत के लिए कितनी इज्जत थी.

नंगे पाँव जीते थे जर्मनी से

बर्लिन ओलम्पिक में भारत ने तीन टीम के साथ गेम खेला, यह मैच 1932 में हुआ था इस खेल में हंगरी, अमेरिका और जापान को भारत ने जीरो गोल में हरा दिया था. उसके बाद फाइनल जर्मनी के साथ हुआ. इस मैच में इंटरवल तक भारत के खाते में एक भी गोल नहीं था उसके बाद ध्यानचंद ने अपने जूते उतारे और नंगे पाँव गोल करने शुरू किये. आपको बता दूँ की बाद में यह मैच 8-1 से जीत गये थे. यह बहुत बड़ी उपाधि थी ध्यानचंद के लिए क्योंकि यह मैच अगर वह हारते तो भारत की जीत फिखी हो जाती. पर उन्होंने ऐसा नही होने दिया.

मेजर ध्यानचंद सिंह की मृत्यु

ध्यानचंद हॉकी 1948 तक खेलते रहे और इस पुरे जीवनकाल में उन्होंने 1000 से भी ज्यादा गोल किये थे. उन्होंने बाद में रिटायरमेंट ली और आपको बता दूँ की मेजर ध्यानचंद के जन्म दिन पर भारत 29 अगस्त को खेल दिवस मनाता है. ध्यानचंद के आखिरी दिनों में उनको पैसों की तंगी का सामना करना पड़ा और उनकी लीवर में केंसर होने की वजह से AIMS के जनरल वार्ड में उनकी मृत्यु हो गई. उनकी मृत्यु 3 दिसंबर 1979 को हुई थी.

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मेजर ध्यानचंद के जीवन की उपलब्धियां

हॉकी के जादूगर ने अपने जीवन में बहुत कुछ पाया है, आज भी उनकी चर्चा होती है और आज भारत उनके जन्म पर खेल दिवस भी मनाता है. मेजर ध्यानचंद ही वह व्यक्ति है जिसने भारत को पहला गोल्ड मेडल दिलवाया था. उनके जीवन की कुछ उपलब्धियां आपको बता रहे हैं –

  • दिल्ली में ध्यानचंद जी के नाम पर स्टेडियम का निर्माण करवाया गया है.
  • उनके जन्मदिन को खेल दिवस के रूप में मनाया जाता है.
  • भारत के डाक टिकेट उनकी याद में शुरू की गई.
  • 1956 में उन्हें पद्म भूषण सम्मान से सम्मानित किया गया था.
ध्यानचंद के जीवन की मुख्य कड़ियाँ
नाम ध्यानसिंह
उपनाम मेजर ध्यानचंद सिंह
खेल में उनका नाम हॉकी के जादूगर
जन्म 5 अगस्त 1905
मृत्यु 3 दिसंबर 1979
व्यवसाय हॉकी खिलाड़ी (फोरवर्ड)
भारत के लिए खेले 1926 से 1948
अवार्ड स्वर्ण पदक, भारत प्द्मभूषण
पद पंजाब रेजिमेंट में मेजर
टोटल गोल 1000
अन्तराष्ट्रीय मैचो में गोल 400

 

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Abhilash kumar

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