हम अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में मौलिक अधिकार यानि कि फंडामेंटल राइट्स(Fundamental Rights) का प्रयोग पाते हैं। लेकिन क्या वाकई अभी हमें अपने मौलिक अधिकारों की पूरी जानकारी है या हम सिर्फ मोटा-मोटा ही उनके बारे बारे में जानते हैं ? देश के नागरिक होने के नाते हमको इनकी पूरी जानकारी होनी भी चाहिए ताकि हम पूर्ण रूप से इन्हें इस्तेमाल कर अपने व्यक्तित्व का पूर्ण रूप से विकास कर सकें। इसलिए आज हम आपको फंडामेंटल राइट्स (fundamental rights) की पूरी जानकारी देंगे।
क्या होते हैं मौलिक अधिकार ?(What is Fundamental Rights)
वे अधिकार जो व्यक्ति के जीवन के लिए मौलिक तथा अनिवार्य होने के कारण संविधान(Constitution) द्वारा नागरिकों को प्रदान किए जाते हैं और जिन अधिकारों में राज्य द्वारा भी हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता मौलिक अधिकार कहलाते हैं । इन अधिकारों को संयुक्त राष्ट्र अमेरिका(USA) के संविधान से लिया गया है। पहले हमारे 7 मौलिक अधिकार थे लेकिन 44वें संविधान संशोधन में यानि कि 1979 में संपत्ति के अधिकार को मौलिक अधिकारों से अलग कर दिया गया। यह वह अधिकार होते हैं जिनसे पता चलता है कि कौन सा देश अपने देशवासियों को कितनी आजादी देता है। जहां मौलिक अधिकार नहीं होते हैं वह देश किसी तानाशाह से कम नहीं होता है।
आइये जानते हैं भारत के छह मौलिक अधिकारों के बारे में-
1. समानता का अधिकार (Right to equality)
यह अधिकार हमारा पहला मौलिक अधिकार है और बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण भी है। इसका जिक्र अनुच्छेद 14 से 18 में है।
◆ Article 14( कानून के समक्ष समानता)
इस अनुच्छेद के तहत कानून के समक्ष सभी व्यक्ति एक समान हैं। चाहे कोई भी व्यक्ति किसी भी जाति, धर्म, रंग, लिंग का हो लेकिन कानून की नजरों में सब समान है।
◆ Article 15( भेदभाव नहीं होगा)
इस आर्टिकल के तहत राज्य के द्वारा धर्म, नस्ल, जाति, लिंग या जन्म स्थान के आधार पर किसी भी व्यक्ति के साथ किसी भी प्रकार का भेदभाव नही होगा।
◆ Article 16( गवर्नमेंट जॉब के लिए अवसर की समानता)
इस आर्टिकल के तहत सभी गवर्नमेंट जॉब में सब को एक समान अवसर दिया जाएगा। लेकिन इस आर्टिकल के कुछ अपवाद भी हैं। इसमे सरकार पिछड़े हुए नागरिकों के लिए, जिन्हें सरकारी सेवाओं में उचित प्रतिनिधित्व प्राप्त नहीं है, उनका स्थान सुरक्षित कर सकती है । इसी कारण हम सरकारी नौकरियों में रिजर्वेशन देखते हैं।
◆ Article 17( छुआछूत का अंत)
इस आर्टिकल के तहत untouchability यानि कि छुआछूत का बिल्कुल अंत कर दिया गया। छुआछूत करना अपराध है और इसके लिए अलग सजा भी हैं।
◆ Article 18( उपाधियों(Degree, Title) का अंत)
इस article के तहत सेना या विधा संबंधी सम्मान के सिवाए अन्य कोई भी उपाधि राज्य द्वारा प्रदान नहीं की जाएगी। भारत का कोई नागरिक किसी अन्य देश से बिना राष्ट्रपति की आज्ञा के कोई उपाधि स्वीकार नहीं कर सकता है।
2. स्वतंत्रता का अधिकार (Right to Freedom)
इसमें हमको अनुच्छेद 19, अनुच्छेद 20,अनुच्छेद 21 और अनुच्छेद 22 के तहत काफी राइट्स मिले हुए हैं।
Article 19
स्वतंत्रता के अधिकार के तहत हमें आर्टिकल 19 से अपने विचार रखने की स्वतंत्रता जिससे दूसरों को हानि ना हो, शांतिपूर्वक बिना हथियारों के एकत्रित होने और सभा करने की स्वतंत्रता, संघ(Party or Group) बनाने की स्वतंत्रता, देश के किसी भी क्षेत्र में आने जाने की स्वतंत्रता, देश के किसी भी क्षेत्र में निवास करने और बसने की स्वतंत्रता जिसमें जम्मू कश्मीर एक अपवाद है। इस आर्टिकल में प्रेस की स्वतंत्रता का भी ज़िक्र है।
Article 20
आर्टिकल 20 के तहत किसी भी व्यक्ति को तब तक दोषी नहीं ठहराया जाएगा जब तक उसका अपराध सिद्ध ना हो जाए, उनको अपराध के लिए सिर्फ एक बार ही सजा मिलेगी और उस समय जो कानून होंगे केवल उन्हीं के उपरांत सजा मिलेगी ।
Article 22
इस आर्टिकल के तहत गिरफ्तार किए गए व्यक्ति को गिरफ्तारी के कारण से तुरंत अवगत कराना पड़ेगा तथा उसे अपनी पसंदीदा वकील चुनने का अधिकार होगा।
इसके अलावा गिरफ्तार किये गए व्यक्ति को 24 घंटे के अंदर निकट के मजिस्ट्रेट के सामने उपस्थित करना होगा ।
3. शोषण के विरुद्ध अधिकार(Right against exploitation)
इसमें अनुच्छेद 23 और 24 के तहत जबरन मजदूरी के खिलाफ प्रतिबंध शामिल है जिसमें 14 से कम वर्ष की आयु के बच्चों को जहां जान का जोखिम है वहां काम करने की मनाही है। इसके अनुसार किसी भी व्यक्ति को दूसरे व्यक्ति का किसी भी तरह से फायदा उठाने का अधिकार नहीं है। इसके अलावा इसमें मजदूरी के लिए भी न्यूनतम भुगतान का इंतज़ाम किआ गया है। इस अधिकार को मुख्य उद्देश्य है कि समाज का कोई शक्तिशाली वर्ग किसी निर्बल वर्ग पर अन्याय न कर सके ।
4. धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार(Right to freedom of religion)
भारत एक सेकुलर देश है जिसमें सभी प्रकार के धर्मों को बराबर प्राथमिकता दी जाती है। भारत के संविधान में अनुच्छेद 25 से 28 तक धर्म की स्वतंत्रता के बारे में बताया गया है। ये अधिकार किसी भी धर्म को मानने और उसका प्रचार-प्रसार करने की अनुमति देता है। इसके अलावा इसमे धार्मिक और परोपकार के उद्देश्यों से संस्थाएँ स्थापित करने एवं चलाने का प्रावधान है। इसमें केंद्र और राज्य सरकार किसी भी तरह के धार्मिक मामले में किसी भी तरह की बाधा उत्पन्न नहीं करेगी।
5. संस्कृति एवं शिक्षा संबंधित अधिकार(Right to culture and education)
इस मौलिक अधिकार में अनुच्छेद 29 के तहत कोई अल्पसंख्यक वर्ग अपनी भाषा और संस्कृति को सुरक्षित रख सकता है और केवल भाषा, जाति, धर्म और संस्कृति के आधार पर उसे किसी भी सरकारी शैक्षिक(educational) संस्था में प्रवेश से नहीं रोका जाएगा। इसके अलावा अनुच्छेद 30 के तहत कोई भी अल्पसंख्यक(minority) वर्ग अपनी पसंद की शैक्षणिक संस्था चला सकता है और सरकार उसे अनुदान देने में किसी भी तरह का भेदभाव नहीं करेगी।
6. संवैधानिक उपाय करने का अधिकार(Right to Constitutional Remedies)
यह हमारे लिए बहुत ही महत्वपूर्ण मौलिक अधिकार है। इस अधिकार के तहत अगर किसी भी नागरिक को लगता है कि ऊपर के 5 अधिकारों में से किसी भी उसके अधिकार का हनन हो रहा है तो वह अदालत का दरवाजा खटखटा सकता है। अगर किसी व्यक्ति को लगता है कि कोई भी सरकारी आदमी उसके मौलिक अधिकारों का बलपूर्वक हनन कर रहा है तो वह अदालत में उसकी शिकायत कर सकता है।
आशा करते है आपको यह जानकारी पसंद आयी होगी धन्यवाद
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