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सफलता के मूलमन्त्र

सफलता के मूलमन्त्र
Written by Suraj

सफलता के मूलमन्त्र जीवन का दूसरा नाम ही संघर्ष है। मानव जीवन में सफलता की चाहत तो प्रत्येक मनुष्य को है, परन्तु उस सफलता को प्राप्त करने के लिए जिन संघर्षों से होकर गुजरना पड़ता है, उन्हें करने से हम सभी कतराते हैं। सफलता तो प्रत्येक मनुष्य को आकर्षित करती है परन्तु उस सफलता प्राप्ति के लिए संघर्ष करना बेहद जरूरी है। जिस मनुष्य ने संघर्ष करना छोड़ दिया, वह अपने जीवन में कभी भी सफलता को प्राप्त नहीं कर सकता तो आइए जानते हैं!

सफलता प्राप्त करने के लिए क्या – क्या मूलमन्त्र सिद्ध हो सकते हैं। (सफलता के मूलमन्त्र)

समय का महत्व : समय इस सृष्टि की सबसे मूल्यवान वस्तु है, परन्तु वर्तमान युग में प्रत्येकमनुष्य निराश, हताश होकर जीवन व्यतीत कर रहा है। उसे समय की जरा भी कद्र नहीं है। जबकि समय किसी भी प्रकार धन से ज्यादा कीमती है। किसी भी व्यक्ति को सफल होने के लिए सर्वप्रथम समय का पाबन्द होना और समय का सही उपयोग करना बेहद जरूरी है। कहा भी गया है कि, समय और ज्वार भाटा किसी की प्रतीक्षा नहीं करते अतः यदि आपको सफलता हासिल करनी है तो आपको समय के महत्व को बखूबी समझना होगा।

आत्मविश्वासी होना :

किसी भी व्यक्ति को सफल होने के लिए स्वयं पर आत्मविश्वास व नियंत्रण रखना चाहिए। जीवन में आत्मविश्वास ठीक उसी प्रकार है जिस प्रकार किसी फूल में खुशबू का होना। कोई भी मनुष्य भले ही लाख गुना प्रतिभाशाली हो परन्तु यदि उसमें आत्मविश्वास नहीं है तो वह एक जिन्दा लाश के समान है, वह अपने जीवन में कभी भी सफलता को प्राप्त नहीं कर सकता। आत्मविश्वास की कमी होने के कारण व्यक्ति अपने ही द्वारा किए गए कार्यों पर सन्देह करता है और वह कार्य की शुरुआत भी इसी डर से नहीं करता कि वह इस कार्य को पूर्ण नहीं कर पाएगा। इसलिए प्रत्येक व्यक्ति को आत्मविश्वासी होना चाहिए क्योंकि आत्मविश्वास ही सफलता की पहली जरूरी नींव है।

स्वतंत्र सोच रखें :

स्वतंत्र सोच किसी भी मनुष्य की तभी बनती है, जब वह आत्मनिर्भर हो, अर्थात स्वतंत्र सोच आत्मनिर्भरता से आती है। किसी भी व्यक्ति की खुशियों का सबसे बड़ा दुश्मन है, उसका किसी पर निर्भर होना। इसलिए जितना सम्भव हो दूसरों से अपेक्षा कम करें और बेहतर होगा कि न ही करें। अपना काम खुद करें और स्वतंत्र सोच अपनाएं। दूसरों की सोच व कामों से दुखी न हों क्योंकि उस पर आप नियंत्रण नहीं कर सकते, परन्तु हम अपनी खुशियों पर स्वयं नियंत्रण रख सकते हैं। ज्यादातर लोग अनुकूल परिस्थिति में खुश व प्रतिकूल परिस्थिति में दुखी हो जाते हैं। जबकि हमें हर परिस्थिति में खुश रहने का प्रयास करना चाहिए। क्योंकि यदि हम उन बातों या परिस्थितियों के कारण दुखी होते रहेंगे जो हमारे नियंत्रण में नहीं है तो इसका परिणाम सिर्फ खराब ही आएगा, आपके हाथ सिर्फ समय की बर्बादी व पछतावा ही लगेगा।

वर्तमान में जीना सीखें :

वैज्ञानिकों की शोध और एक सर्वे के अनुसार यह बात पता चली है कि 70 से 90% लोग अपने भूतकाल व भविष्य की व्यर्थ की बातें सोचने में अपना ज्यादातर समय व ऊर्जा खर्च करते हैं। जबकि हमें सिर्फ वर्तमान में जीना चाहिए क्योंकि भूतकाल और भविष्य में हमारा कोई नियंत्रण ही नहीं है अतः यदि हम अपना वर्तमान अच्छा बनाएंगे तो हमारा भविष्य खुद ब खुद अच्छा बनेगा। यदि आपको जीवन में खुश रहना है व सफलता हासिल करनी है तो आप उन बातों के बारे में बिलकुल सोचना बन्द कर दें जिन पर आपका नियंत्रण ही न हो।

मेहनती व लगनशील होना :

किसी ने सही ही कहा है कि सफलता, मेहनत के बिना हासिल नहीं की जा सकती, कुछ लोगों का लक्ष्य तो बहुत बड़ा होता है परन्तु वह मेहनत नहीं करना चाहते और इसी वजह से वह अपने लक्ष्य को बार – बार बदलते रहते हैं। ऐसे लोग सिर्फ जीवन भर योजना ही बनाते रह जाते हैं कभी सफल नहीं हो पाते। कहा जाता है कि मेहनत, लगन व दृढ़ निश्चय से तो बड़े से बड़े कार्य करना आसान हो जाता है, हां उस कार्य के बीच में थोड़ी बहुत बाधाएं तो आती ही हैं, जिसे हमें अपनी मेहनत व लगन के दम पर पार करना होगा। वहीं कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो मेहनत तो करते हैं परन्तु एक बार असफल हो जाने पर निराश होकर हथियार डाल देते हैं। जबकि उन्हें अगली बार और ज्यादा मेहनत करनी चाहिए
फिर निश्चित रुप से ही वह सफलता को प्राप्त करेगा।

व्यवहार कुशल होना :

कहते हैं कि शिष्टाचार ही सबसे खूबसूरत सुन्दरता है, शिष्टाचार के बिना मनुष्य केवल खुद तक सीमित हो जाता है, और समाज उसे स्वार्थी नाम से पुकारता है। शिष्टाचारी व्यक्ति चाहे किसी भी क्षेत्र में चला जाए वहां के माहौल को खुशनुमा बना देता है और वहां सभी लोग आसानी से उसके मित्र बन जाते हैं। व्यवहार कुशल लोग जरुरत पड़ने पर हमेशा दूसरों की मदद करने के लिए तत्पर रहते हैं, और अन्य लोग भी उनकी मदद करने के लिए हमेशा तैयार रहते हैं।
कहा जाता है कि व्यक्ति का चरित्र उसके व्यवहार कुशल होने की नींव होती है। कोई भी चरित्रहीन व्यक्ति कभी भी शिष्टाचार को नहीं अपना सकता जबकि किसी भी व्यक्ति का चरित्र उसकी परछाई होती है और इस समाज में भी व्यक्ति अपने चरित्र से ही जाना जाता है। अतः व्यक्ति को व्यवहार कुशल होना, सफलता प्राप्ति के लिए अति आवश्यक है।
तो ये थे कुछ सफलता के मूलमन्त्र जिनको अपना कर आप सफल बन सकते हो

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सीख प्रदान करने वाली कुछ रोचक कहानियां :

इंसान की कीमत की कहानी –

एक बार की बात है एक अध्यापक कक्षा में पढ़ा रहे थे, और बच्चों को कुछ नयी सीख सिखाने के लिए उन्होंने एक योजना बनाई, उस अध्यापक ने अपनी जेब से एक 50 रुपये का नोट निकाला और बच्चों को नोट दिखाकर पूंछा, यह नोट कौन – कौन बच्चे लेना चाहते हैं? उत्तर में सभी बच्चों ने अपना हाथ खड़ा कर दिया। फिर अध्यापक ने उस नोट को मुठ्ठी में बंद करके बुरी तरह मोड़ दिया और फिरवह मुड़ा हुआ नोट दिखाकर बच्चों से पूंछा कि बच्चों आप में से अब इस नोट को कौन लेना चाहेगा? जवाब में फिर सभी बच्चों ने हाथ खड़ा कर दिया। फिर अध्यापक ने उस नोट को जमीन पर फेंक कर उसे गंदा कर दिया और फिर बच्चों से पूंछा कि अब यह नोट कौन बच्चा लेना चाहेगा?
जवाब में फिर से सभी बच्चों ने अपना हाथ खड़ा कर दिया। तब अध्यापक ने बच्चों को समझाते हुए बोला कि बच्चों आज मैंने तुम सभी को एक बहुत बड़ी सीख दी है। इस 50 रुपये के नोट को मैंने हाथ से कुचल कर मोड़ दिया परन्तु तब भी तुम सभी ने इसे लेना चाहा क्योंकि मुड़ने के बाद भी इस नोट की कीमत 50 रुपये ही थी। फिर मैंने इसे जमीन पर फेंक कर मिट्टी से मैला कर दिया परन्तु फिर भी तुम सब बच्चों ने इसे लेना चाहा क्योंकि मैला होने के बाद भी इसकी कीमत 50 रुपये ही थी। बच्चों उसी प्रकार से इंसान की कीमत और काबलियत वही रहती है चाहे परिस्थिति कैसी भी हो कितनी भी मुश्किलें आएं मनुष्य को कभी भी अपनी काबलियत व कीमत नहीं गंवानी चाहिए।

हाथी और रस्सी की कहानी –

एक बार की बात है एक आदमी रास्ते से जा रहा था तभी उसने देखा कि एक विशाल हाथी को उसका मालिक खूंटे से एक पतली सी रस्सी से बांध रहा है। यह देखकर वह आदमी बहुत आश्चर्यचकित हुआ और उसने हाथी के मालिक के पास जाकर उससे पूंछा कि तुम इतने विशाल हाथी को इतनी पतली रस्सी से बांध रहे हो ऐसी बेवकूफी तुम कैसे कर सकते हो? यह इतना विशाल हाथी इस पतली सी रस्सी को तोड़कर आजाद हो जाएगा। इस पर हाथी के मालिक ने हल्की मुस्कुराहट के साथ जवाब दिया कि श्री मान जब यह हाथी छोटा था तब मैं इसे इतनी ही पतली रस्सी से बांधता था और यह रस्सी को तोड़ने की बहुत कोशिश करता था।
परन्तु छोटा होने की वजह से यह कभी रस्सी तोड़ नहीं पाता था और हर बार कोशिश में नाकाम हो जाता था। बार- बार नाकाम रहने पर इसे यह विश्वास हो गया कि ये रस्सी बहुत मजबूत है और वह इसे कभी नहीं तोड़ सकता अतः इसने इस रस्सी को तोड़ने का प्रयास करना ही छोड़ दिया। आज जब यह इतना विशाल हाथी बन चुका है, तब भी यह इस रस्सी को तोड़ने का प्रयास नहीं करता क्योंकि इसके मन में आज भी यही विश्वास बना हुआ है कि यह रस्सी को नहीं तोड़ पाएगा, इसलिए यह इस रस्सी से चुपचाप बंधा रहता है। इस उत्तर को सुनकर आदमी बोला कि जाने अनजाने आज मुझे बहुत बड़ी सीख सीखने को मिली है कि मनुष्य भी कई बार असफल होने पर यह विश्वास कर लेता है कि वह उस कार्य में कभी सफल नहीं हो सकता और प्रयास करना छोड़ देता है। जबकि हमें कभी भी अपने जीवन में प्रयास करना नहीं छोड़ना चाहिए, निरन्तर प्रयासरत रहने से एक न एक दिन हम सफलता को हासिल कर ही लेंगे।
आशा करते है की हमारे द्वारा बताए गए ये सफलता के मूलमन्त्र आपके कुछ काम आएँगे

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