Poetry

बहुत बदनसीब हूँ मैं

बहुत बदनसीब हूँ मैं
Written by Abhilash kumar

कुछ लोग बड़े बदनसीब होते हैं,,
उनमें से एक मैं भी हूँ,,,
बहुत से पागल हैं इस दुनिया में,,
उनमें से एक पागल मैं भी हूँ,,,

जिस माँ को चाहा पूरी शिददत से,,
वो बीच में ही छोड़ कर चली गई,,,
जिसकी सेवा में बिताना चाहता था ज़िन्दगी,,
वो अधूरा सा मुझे छोड़ गई,,,

उस बात को दिल के एक कोने में
दबा दिया,,
उस माँ को मैंने खुदा बना लिया,,,

फिर एक दौर आया
जब किसी को दिल ने अपना कहा,,
पर उसके लिए मैं
कभी कुछ था ही नहीं,,,

लगा ही नहीं की कुछ
पीछे छूटा था,,,
मैं ज़रा भी नहीं टूटा था,,,

फिर एक रोज़ मिली वो
जिसने उसे भुला दिया,,,
मेरे हर वक़्त को उसने
अपनी बातों से सजा दिया,,,

उसका भी कोई अतीत था,,
उसका भी कोई अजीज था,,

पर अब वो भी मेरी तरह तन्हा थी,,
उसे भी एक सहारे की ज़रूरत थी,,,

मेरा सहारा
इस कदर बन गई वो,,,
मेरे हँसने रोने की
हर वजह बन गई वो,,,

कहती थी कुछ भी हो
मुझे बस तेरे साथ रहना है,,,
तेरे लिए अब
कुछ भी कर गुजरना है,,,

मेरे दिल में हर रोज़ वो
अरमान जगाती चली गई,,
मुझे वो हर रोज़ अपना
बनाती चली गई,,,

वो सिर्फ मेरी है
इतना तक कह दिया मैंने,,,
उसे खुदा के बराबर का
दर्जा तक दे दिया मैंने,,,

अपनी कोई ख्वाइश
बाकी नहीं रह गई थी अब,,,
मैं तो बस उसे खुश देखना चाहता था,,,
समाज की नज़र में उसे
हर दर्ज़ा देना चाहता था,,,

पर मैं शायद थोड़ा भूल गया था
की बहुत बदनसीब हूँ मैं,,,
चाह कर भी ख़ुशी नहीं मिल सकती,,,
जिसे चाहा मैंने खुद से ज्यादा
जिसे अपनी ज़िन्दगी बना लिया,,,
वो कभी मेरी ज़िन्दगी नहीं बन सकती,,,

मैंने कोई कमी ना रखी अपनी तरफ से कोई,,
उसके लिए पुरे ज़माने का बुरा बन गया,,,

पर गलती उसकी तो नहीं थी इसमें कोई,,,
मेरे पास आखिर है ही क्या,,,

क्या कभी मैं उसे
खुश भी रख पाता,,,
क्या कभी उसका दामन
खुशियों से भर पाता,,,

बहुत बुराइयाँ हैं शायद मुझमें
पर उससे ज्यादा किसी को नहीं चाहा,,,
माँ के बाद वही थी जिसे अपना खुदा बनाया,,,

ना जाने ऐसा कौन सा गुनाह
कर दिया था मैंने,,,
जिसके लिए वो हर वक़्त मुझे
दुत्कारने लगी थी,,,

मेरे गुनाह इतने बड़े थे क्या
जिसके लिए वो मुझे
हर वक़्त रुलाने लगी है,,,,

कैसे जिन्दा हूँ उससे दूर
कैसे बताऊँ भला उसे,,,
ज़िंदा लाश बन चूका था बस
कैसे समझाऊँ भला उसे,,,

मेरे गुनाहों की
मुकम्मल सज़ा दी है उसने,,,
नसीब को क्यों कोसूँ
भला किसका नसीब हूँ मैं,,,

थोड़ा नहीं
बहुत ज्यादा बदनसीब हूँ मैं,,,
थोड़ा नहीं
बहुत ज्यादा बदनसीब हूँ मैं,,,

बहुत बदनसीब हूँ मैं!!!
बहुत बदनसीब हूँ मैं!!!
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Abhilash kumar

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